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पेइचिंग : कुछ कविताएँ-5 / सुधीर सक्सेना

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यकसाँ है सब-कुछ

यकसाँ है चेहरे का रंग

यकसाँ है आदमी का मिजाज,

यकसाँ है चेहरे की मुस्कान


पूरा शहर एक साथ पैडल मारता है

पुरानी ढब की साइकिल पर,

पूरा शहर हवाखोरी को निकलता है एक साथ

पूरा शहर मुस्कुराता है, मुस्कुराता है

और मुस्कुराता चला जाता है

एक साथ


फंगयो!

कान लगाकर सुनो!

बूढ़े चीन के सीने में

तीन हज़ार साल से

यकसाँ धड़क रहा है

हरदम जवाँ पेइचिंग।


फंगयो=दोस्त (चीनी भाषा में)