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इज़्ज़तपुरम्-16 / डी. एम. मिश्र

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निशा के
एकान्त कोने में
पसरी चटाई पर
वह आज
स्वयं के बारे में
जानने को आतुर
और जिज्ञासु थी
कि पुरुषों की दृष्टि में
सहसा
आये परिवर्तन का
स्रोत कहाँ है
उसकी
नव देहयष्टि में?

देर तक वह
अपनी
पैमाइश में डूबी
पूर्व से करती
वर्तमानान्तरों का मिलान
नये विस्मयों
रहस्यलोकों को
बूझती
निश्चय कर रही थी

कल से वह
इतने कम कपड़ों में
नहीं जायेगी
काम पर