भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सामान / लालसिंह दिल / सत्यपाल सहगल
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:31, 12 सितम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=लालसिंह दिल |अनुवादक=सत्यपाल सहग...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
जब मेरे बच्चों को
सामान मिल गया होगा
तो उन्होंने क्या-क्या
बनाया होगा?
आह !
बाग़
आह!
फ़सलें
आह ! कमालों में कमाल
पैदा किया होगा
उन्होंने।
जब मेरे बच्चों को
सामान मिल गया होगा।
मूल पंजाबी से अनुवाद : सत्यपाल सहगल