भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इज़्ज़तपुरम्-67 / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:20, 18 सितम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डी. एम. मिश्र |संग्रह=इज़्ज़तपुरम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
सँकरी और ठहरी
गली नहीं अब
सामने
लंबी-चौड़ी दौड़ती
सड़कें है
घोंसलें-सा मकान
मकड़ियों-छिपकलियों के
साझे का नहीं अब
वैभव सम्पन्न
गगनचुम्बी इमारतें है
भुतनियों-चुड़ैलों से
मुक्त इस क्षेत्र में
मायाबी गुड़ियों की
सभ्यता / अदब
परवान चढ़े
देसी और बासी
लँहगा फिजूल
पाश्चात्य शार्ट – शर्ट
हॉट पैंट – रंगीन
विविध पोशाकें
कृत्रिम सौन्दर्य
चुम्बकीय तरंगों से
जर्जर धवस्त
कामोद्दीप पुर्जों में
ब्लात हल्की-सी
चेष्ठा उत्पन्न करें
और ले जायें
भर-भर अपार कालेधन