भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
इज़्ज़तपुरम्-93 / डी. एम. मिश्र
Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:41, 18 सितम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=डी. एम. मिश्र |संग्रह=इज़्ज़तपुरम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
जीना ही जीवन है!
चलो
सफ़र अपूर्ण अभी
हार नहीं मानो
आखिरी साँस तक!
मंद-मंद अनवरत
प्रज्वलित वर्त्तिका
लौ लगी
अटूट प्रेम
रिक्त है
अतृप्त है
विकल उर
अशेष मन
प्रतीक्षारत
आशा में ढूँढता
अनन्त सुख