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सभ्यता-4 / मथुरा नाथ सिंह ‘रानीपुरी’
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41.
चोरी के धंधा
सिपाही संगें देखोॅ
चोरोॅ के कंधा।
42.
कैन्होॅ ई धंधा
गोण्डौं के साथें देखोॅ
नेता के कंधा!
44.
सुनोॅ आवाज
घुसखोरे हाथें ई
चलै छै राज!
45.
कैन्होॅ बखेड़ा
सगरो झलकै छै
जाति आखेड़ा।
46.
बनभेॅ प्यारोॅ
जत्ते जेकरोॅ जन्नें
चुगली लारोॅ।
47.
केना झगड़ा
पटरी नै खैलकै
भेलै रगड़ा।
48.
कैन्हॉे संयोग
कपड़ा उतारी के
करै छै भोग।
49.
ई दरबार
धोखा झलकै देखोॅ
आर-रे-पार।
50.
फोड़ोॅ नी भंडा
पंडी जी खाय छै नी
मुर्गी रोॅ अंडा।
51.
कैन्होॅ विचार
भ्रष्ट करै छै देखोॅ
देश सुधार!
52.
भेलै नी शोर
छौड़िया चललै नी
खोली पटोर।
53.
राम रे राम
ई नमकहराम
बेचै इमाम।
54.
छेकै नियोग
शीशा में करै देखोॅ
भू्रण प्रयोग।
55.
ई चिनगारी
कत्तेॅ दिन रहतै
लूट बीमारी।