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जीवन-4 / मथुरा नाथ सिंह ‘रानीपुरी’
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34.
छै नी ऊ सच्चा
जे जत्तेॅ गिरलोॅ छै
वहेॅ रे अच्छा।
35.
छेकै ऊ मित्र
दिलोॅ में जेकरोॅ रे
उतरै चित्र।
36.
छेकै दर्शन
जे करै छै दिलोॅ में
प्रभु चिन्तन।
37.
यादोॅ के बात
विरह-मिलन के
छेकै बारात।
38.
कैसनोॅ धोखा
अपनोॅ भी भागै छै
पाय केॅ मौका।
39.
ऊ एहसान
मानव के छेकै नी
ई पहचान।
40.
करोॅ कल्याण
भला करतौं तोरोॅ
ऊ भगवान।
41.
छेकै अधर्म
आदमी के संगे जे
करै कुकर्म।
42.
बहेॅ दुश्मन
काँटे रंग जेकरोॅ
छै चितवन।
43.
छेकै ई देश
करै छै सिया चोरी
साधु के वेश।
44.
करोॅ यकीन
जानो केॅ लै छै देखोॅ
जे छै हसीन।
45.
छेकै शैतान
भूलै छै केकरोॅ जे
ऊ एहसान।