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जीवन-5 / मथुरा नाथ सिंह ‘रानीपुरी’

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46.
बुरा नै सोचोॅ
बुरा रोॅ फल ही तेॅ
भरै छै खोछोॅ।

47.
छेकै ई धर्म
जे दोसरा के जानै
दर्द के मर्म।

48.
छैनी लगाव
चोरॅ सिपाही जी केॅ
दै छै सुझाव।
49.
छै भगवान
जेकरा देहें रहै
सदा ईमान।

50.
करी लेॅ खोज
बिना रे ठगलेॅ के
करै छै भोज।

51.
छेकै ई चोरी
कुर्सी पर करै छै
जे घुसखोरी।

52.
छेकै ऊ भ्रष्ट
लोगोॅ के हरदम
दैछै जे कष्ट।

53.
कैन्होॅ विरोध
लूटे प्रजातंत्र के
छेकै नी शोध।

54.
ई कदाचार
छोटोॅ बड़ोॅ के जहाँ
नै छै विचार।

55.
कत्तेॅ सहतै
ई मँहगाई सें रे
के नै मरतै।

56.
ई प्रदूषण
मानव-मानव के
करै शोषण।

57.
छेकै नी हार
पेटोॅ मंे तेॅ भूख छै
जीहोॅ पै लार।