भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

वृहद और नगण्य / नील्स फर्लिन

Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:48, 16 अक्टूबर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=नील्स फर्लिन |संग्रह= }} <Poem> हमने अध...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

हमने अधिक से अधिक अन्वेषण किया
और धरती वृहद् से वृहद्तम होती गयी.
फिर और अधिक अन्वेषण किया
और धरती, मात्र अब एक कण रह गयी
एक छोटा सा गुब्बारा
अनंत में.

(मूल स्वीडिश से अनुवाद : अनुपमा पाठक)