भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
देह की देहरी पर / सुरेश चंद्रा
Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:00, 20 अक्टूबर 2017 का अवतरण
देह की देहरी पर
पटकता है सर
उद्विग्न मस्तिष्क
आहत दर्प
जा छुपता है
प्रशस्ति की कन्दराओं में
तेक नहीं छोड़ती हठ
तर्क घुटने नहीं टेकता
आत्मा के वितर्क पर
सतर्ष हर हार को
संघर्ष की भाषा कहता है
निर्वसन करता हुआ
शिराओं से मुख तक
रक्त के सारे माध्यम.