भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
कामनाहीन पत्ता / पूनम अरोड़ा 'श्री श्री'
Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:40, 20 अक्टूबर 2017 का अवतरण
{KKGlobal}}
तुम इतने बोधगम्य हो
जैसे समाधिस्थ बुद्ध के पास पड़ा
एक कामनाहीन पत्ता.
मैं तुम्हारे प्रेम में
अपनी सब कोमल कविताएँ
वो विनम्र पत्ते बना दूँगी
जो अपने पतन को पूर्व से जानते हैं.
मैं ख़ुद को क्षमा कर दूँगी.