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पार्क की बेंच / लैंग्स्टन ह्यूज़ / अमर नदीम

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मैं एक पार्क की बेंच पर रहता हूँ
और तुम, पार्क एवेन्यू में
एक लम्बा फ़ासला है
हम दोनों के बीच।

मैं माँगता हूँ चन्द सिक्के
अपनी भूख मिटाने के लिए
और
तुम्हारे पास हैं
बावर्ची और नौकरानियाँ।

पर अब मैं
जाग रहा हूँ
बोलो, तुम्हें डर नहीं लगता।

क्या पता, हो सकता है
कि बरस-दो बरस में
मैं यहाँ से हटकर
पार्क एवेन्यू में ही बस जाऊँ।

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : अमर नदीम