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जनतंत्र / बिंदु कुमारी
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आय भौरैं-भोरैं
जबें सेॅ हमरोॅ शहर रोॅ नैतिकता
रूसी केॅ चल्लोॅ गेलै
आपनोॅ कपड़ा गहना जेबर छोड़ी केॅ
आय सुरूज बढ़तै
जबेॅ हमरोॅ आईना
आपनोॅ साथें
हमरोॅ चेहरा भी लै जाय चुकलोॅ छै। आरो-
खैबोॅ-पीवोॅ
हाँसबोॅ-कानबोॅ
साथें-साथ
जीवोॅ-मरबोॅ
सब्भेॅ बिसरी गेलोॅ छै
तहियाँ सेॅ हम्मेॅ लाचार होय केॅ
आपनोॅ बचलोॅ लहू सेॅ-
लिखी केॅ एक पटिया
होकरा गल्ला मेॅ टांगी देलेॅ छियै-कि
हमरोॅ ई शहर-
किराया पर लागी जाय।