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होली के वयार / राधेश्याम चौधरी

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होली मेॅ सब्भेॅ बौराय भेलोॅ छै।
भांग आऐ गांजा चढ़ाय लेने छै।।
अबीर आऐ गुलाल लगाय लेने छै।
एक दोसरा सेॅ गल्ला लगाय रहलोॅ छै।।
ढोल आरो मंजीरा बजाय रहलोॅ छै।
बसंत मेॅ फाग गाय रहलोॅ छै।।
सब्भेॅ दुश्मनी भुलाय केॅ,
गल्ला सेॅ गल्ला लगाय केॅ।
अबीर आऐ गुलाल लगाय,
प्यार रोॅ इजहार जताय रहलोॅ छै।
खोआ मलाय खोय खिलाय केॅ
ढोल-झाल बजाय केॅ, एकता रॉे मिशाल बताय छै।
सद्भावना रोॅ जोति जगाय केॅ
एक नया समाज बनाम केॅ।
रंग-अबीरोॅ मेॅ डुबकी लगाय
प्रेम-प्यार रोॅ पाठ पढ़ाय रहलोॅ छै,