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शेर / राधेश्याम चौधरी

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चाहै वाली रोॅ संग,
रंग मेॅ होय गेलै भंग।
आँख कजरारी होंठ गुलाबी,
दिलोॅ मेॅ समाय गेलै अंग-अंग।
गोरी रहेॅ चाहेॅ कारी रहेॅ,
घरवाली रहेॅ, चाहेॅ बाहर वाली रहेॅ।
तोॅ हमरोॅ जान बचाय लेॅ,
तोॅ राधा छेकोॅ, हमरा श्याम बनाय लेॅ।
.................................................
फागून मेॅ मन बहकै छै,
फागून मेॅ दिल धड़कै छै।
देखी केॅ मोॅन तरसै छै,
रंग-अबीर बरसै छै।