स्वतंत्रता संग्राम में राजेन्द्र बाबू
करलखीन बड़का काम,
लिखवाय लेलखीन आपनोॅ
इतिहासोॅ में नाम।
सादगी, सरलता आरो
प्रेमोॅ के बलोॅ सें,
देशोॅ के कैलखीन उद्धार।
निकालखीन दलदलोॅ सें।
धन्य छै उ गांव जीरादेई
जिनकोॅ छथोन हूनी लाल,
आपनोॅ बुद्धि सें निष्फल
करलखीन अंग्रेजोॅ के चाल।
नै होलै कोय हुनकोॅ रं
राजनीति में त्यागी,
मानवता के कट्टर समर्थक
चिंतक आरो अनुरागी।
कोय होतै उनकोॅ रं
कत्तै करवाय लियेॅ चाहे जयजयकार,
मरथौं दम समुच्चे दुनियाँ
करतें रहतै उनका सें प्यार।
सागरोॅ सें बढ़लोॅ
उनकोॅ महिमा बिस्तार,
देशरत्न राजेन्द्र बाबू!
तोंरा प्रणाम सौ-सौ बार।