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बोलो बच्चो ! / महेश कटारे सुगम
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बोलो बच्चो, तुम्हें गाय क्यों भाती है?
हमको मीठा-मीठा दूध पिलाती है।
बोलो तारागण क्यों अच्छे लगते हैं?
वे सब आपस में हिल-मिलकर रहते हैं।
बोलो सूरज क्यों इतना गरमाता है?
अन्धकार पर उसको गुस्सा आता है।
बोलो मुर्गा क्यों प्रातः चिल्लाता है?
सबको जगने का सन्देश सुनाता है।
बोलो भला, चाँद क्यों घटता-बढ़ता है?
परिवर्तन की बात खुलासा करता है।
बोलो जंगल हरे-भरे क्यों रहते हैं?
मन ही मन वे नहीं किसी से जलते हैं।