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नदियों के गंदे पानी को घर में निथार कर / भावना

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नदियों के गंदे पानी को घर में निथार कर
चूल्हा जला रही है वो पत्ते बुहार कर

फुटपाथ के परिंदों की तकदीर है यही
ताउम्र उनको जीना है दामन पसार कर

उड़ने लगी है कल्पना बिंबों की खोज में
कुछ शब्द चल पड़े हैं स्वयं को निखार कर

वो कामयाब होते हैं हर गाम पर सदा
जो हर लड़ाई लड़ते हैँ गलती सुधार कर

अब तो लड़ाई है मेरी अन्याय के ख़िलाफ़
हर झूठ का रख देंगे हम चोला उतार कर