Last modified on 19 नवम्बर 2017, at 01:07

घास / मणि मोहन / कार्ल सैण्डबर्ग

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 01:07, 19 नवम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कार्ल सैण्डबर्ग |अनुवादक=मणि मोह...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

ऊँचे - ऊँचे ढेर लगा दो लाशों के
ऑस्ट्रेलिज़ और वाटरलू में।
मिट्टी में दबा दो उन्हें
और मुझे अपना काम करने दो —
मैं घास हूँ, फैल सकती हूँ हर जगह।

ऊँचे ढेर लगा दो गेटिज़बर्ग में
ऊँचे ढेर लगा दो ईप्रा और वेडर्न में।
मिट्टी में दबा दो उन्हें
और मुझे अपना काम करने दो।

दो साल, दस साल, और फिर
यात्री पूछेंगे कण्डक्टर से :
यह कौन सी जगह है?
इस वक्त हम कहाँ हैं?

मैं घास हूँ ।

मूल अँग्रेज़ी से अनुवाद : मणि मोहन'