जित्ते पक्षी की यह पंक्ति / तेजी ग्रोवर
आज यहाँ नाव नहीं आएगी
जिसके पाल में धूप बनती है
जिस धूप में धुले जलपक्षी
ठीक लहरों की तरह उड़ते हैं
लहरें — जिनकी उजली पाँत
बहुत पहले
आम परिन्दों से कहीं पहले
आँख से ओट होती है
उस आँख से ओट
जो तट पर
सुबह के साथ खुलती है —
यह मछुआरे की बच्ची की आँख है
बच्ची
जो दुबली उँगलियों पर
जलपक्षी पाँत गिनती है
फिर कहती है
इत्ती ही मछली दो ईश्वर
जित्ते पक्षी की यह पंक्ति उड़ती है
यह देख, यह देख
गिन इसे, गिन इसे ईश्वर
गिन देख इसे, यह पँक्ति उड़ती है
इत्ती ही मछली दो ईश्वर
जित्ते पक्षी की यह पँक्ति उड़ती है
यह उस ईश्वर से कहती है
जो सफ़ेद पाल की नाव है
जिसमें धूप बनती है
जिस धूप में धुले जलपक्षी
ठीक लहरों की तरह उड़ते हैं
उसी नाव से कहती है
जो आज यहाँ नहीं आएगी
और पँक्ति टूट जाएगी
फिर भी कहती है