Last modified on 26 नवम्बर 2017, at 02:25

चट्टान / रुस्तम

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 02:25, 26 नवम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रुस्तम |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poe...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

चट्टान
आग में बदल रही थी
जो पहले से ही आग थी
और चट्टान लग रही थी
कई दूसरी चट्टानों के बीच
जो पहले से ही आग थीं और
चट्टानें लग रही थीं : : : : : : इस तरह
कि आग जैसी बहुत सी चट्टानों के बीच
बहुत सारी जगहों पर
चट्टानों जैसी
आग जल रही थी