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अंतिम पहर में चांद / महाप्रकाश
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यह कौन है बुढिया
नीले बिछावन पर सोई
चतुर्दिक पसारे अपनी केशराशि
अतीत की निद्रा में डूबी
अस्फुट शब्दों में कह रही
कौन सी कथा
बार-बार।