भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
एक मुट्ठी एक सहरा भेज दे / ज़फ़र गोरखपुरी
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:08, 2 दिसम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ज़फ़र गोरखपुरी }} {{KKCatGhazal}} <poem> एक मुट्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
एक मुट्ठी एक सहरा भेज दे
कोई आँधी मेरा हिस्सा भेज दे
ज़िन्दगी बच्ची है इस का दिल न तोड़
ख़्वाब की नन्ही से गुड़िया भेज दे
अक्स ख़ाका धुँद परछाईं ग़ुबार
मेरे क़ाबिल कोई तोहफ़ा भेज दे
सौ बरस की उम्र ले कर क्या करूँ
चैन का बे-क़ैद लम्हा भेज दे
आसमाँ बिन्त-ए-ज़मीं के वास्ते
सात रंगों का दुपट्टा भेज दे