भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

बाल दोहे / गरिमा सक्सेना

Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:46, 25 दिसम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} <poem> 'अ' से...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

'अ' से बना 'अनार' है, 'आ' से मीठा 'आम' ।
जब बच्चों मन से पढ़ो, तब तो होगा नाम॥

इमली में छोटी इ है, ई से होती ईख।
पुस्तक अच्छी मित्र है, ले लो इनसे सीख॥

उ से पढ़ो उलूक सभी, ऊ से पढ़ लो ऊन।
वर्ण-ज्ञान के बिन जगत में, सारा जीवन सून॥

ए से बनती एकता, ऐ से ऐनक गोल।
ओ से पढ़ लो ओखली, शिक्षा है अनमोल॥

औरत औ से सीख लो, अं से है अंगूर।
वर्ण अ से अ: तक सभी, स्वर हैं, रटो ज़रूर॥