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श्याम! तुमसे झर रहा है / गरिमा सक्सेना
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श्याम! तुमसे झर रहा है
प्यार का संगीत निर्मल
तुम बसे हो थपकियों में
स्वप्न में अँगडाइयों में
और बसते प्रेम-सा तुम
श्याम! माँ की लोरियों में
है तुम्हारी ही कृपा से
प्रेममय सारा धरातल
धड़कनों का राग तुम हो
प्रीति हो, अनुराग तुम हो
गीत सावन का तुम्हीं हो
मस्त-मौला फाग तुम हो
और तुम ही धड़कनों में
कर रहे हो श्याम! हलचल
खनक तुम ही छनछनाहट
पक्षियों की चहचहाहट
तुम मधुर बहता पवन हो
और मन की सुगबुगाहट
तुम अधर की बाँसुरी हो
और तुम ही बाँस-जंगल