बरसात में हमसे मिले तुम सजन / शैलेन्द्र
गीतकार : इन्दीवर
जिस दिल में बसा था प्यार तेरा
उस दिल को कभी का तोड़ दिया, हाय, तोड़ दिया
बदनाम न होने देंगे तुझे
तेरा नाम ही लेना छोड़ दिया, हाय, छोड़ दिया
जिस दिल में बसा था प्यार तेरा
तू औरों का कोई और तेरा ,दुनिया में हम क्यों जिंदा हैं,
हम बन कर क्यों दीवार रहे, ये सोच के हम शर्मिंदा हैं..
ये सोच के हम शर्मिंदा हैं..
दर कोई खुले न खुले अब तेरी राहों को हमने छोड़ दिया..
हम प्यार में थे नादान बहुत ,कुछ करना था कुछ कर बैठे ,
वो फूल था और के जूडे ka, हम जिस से दामन भर बैठे ..
हम जिस से दामन भर बैठे...
हम ने ख़ुद अपनी बहारों का विरानो से रिश्ता जोड़ दिया ...
जिस दिल में बसा था प्यार तेरा
उस दिल को कभी का तोड़ दिया, हाय, तोड़ दिया
बदनाम न होने देंगे तुझे
तेरा नाम ही लेना छोड़ दिया, हाय, छोड़ दिया
जिस दिल में बसा था प्यार तेरा ...