भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
मालिक मकबूज़ा / सैयद शहरोज़ क़मर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 13:30, 27 दिसम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= सैयद शहरोज़ क़मर |अनुवादक= |संग्र...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
मालिक-मकबूज़ा सी
शब्दों की बाज़ीगरी में मत उलझाओ
हमें ऑक्सीजन की बैसाखी
नहीं चाहिए
बकोर की स्निग्धता
चित्रकूट का संघर्श
तीरथगढ़ की शान्ति
और घोटूल का कलरव
लौटा दो हमें
हम, बस,
इत्ता-भर जानते हैं
जिसे तुम हमारा मुखिया
समझते हो
हम उन्हें नहीं मानते।
02.03.97