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सभी हर्षद से क़लमकार / सैयद शहरोज़ क़मर
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सभी 'हर्षद' से क़लमकार मिले
'लोग सब हमको अदाकार मिले'
दिल का दरवाज़ा खुला रक्खा है
दैरो-काबा में, पहरेदार मिले
बचके जाएँ भी तो किधर जाएँ
घर-आँगन में ज़िनाकार मिले
आप कण-कण की बात करते हैं
ईश्वर घर में कोनेदार मिले
दिलो जाँ खोल के रक्खूँ तो भी
ऐसे कमरे न हवादार मिले
09.04.97