भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
प्रेम के नाम पर / कैलाश पण्डा
Kavita Kosh से
आशिष पुरोहित (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:23, 27 दिसम्बर 2017 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=कैलाश पण्डा |अनुवादक= |संग्रह=स्प...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
ना पल्लवित
ना पुष्पित
ये रजः कण
अपना कुछ भी नहीं होता
केवल बहाव में
बहते हैं
जो स्वयं को
प्रेयस् हो
वही करते हैं
धूप से पायी
स्वयं की चमक
रंगों के आकर्षण को
महज प्रेम के नाम पर
अर्पित कर देते हैं
स्वयं को सार्थक कर।