बेकली मेरे दिल की मिटा दीजिए
ऐ मेरे चाराग़र कुछ दवा दीजिए
नींद आई थी जब एक अरसा हुआ
उम्र भर के लिए अब सुला दीजिए
बस तिज़ारत जहाँ पर नसीबों की हो
इक वहीं से मुक़द्दर दिला दीजिए
कुछ तो जज़्बात मेरे समझिए ज़रा
कुछ तो मेरी वफ़ा का सिला दीजिए