Last modified on 1 जनवरी 2018, at 04:01

कामिन दीदी / सुकुमार चौधुरी / मीता दास

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 04:01, 1 जनवरी 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=सुकुमार चौधुरी |अनुवादक=मीता दास...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

सुबह सवेरे काम पर आने में अक्सर
कामिन दीदी को देर हो ही जाती है।
उसके पैरों में गोखरू की गुठलियाँ और
हज़ारों प्रलेप
काफ़ी दूरी तय कर के पैदल आकर
थकन से चूर उसके बनते-बिगड़ते चेहरे ​का स्वेद।

और
फिर बरामदे में बैठ दीदी
ऐश के साथ
बीड़ी सुलगाती है,
बीड़ी का नाम है सुधा।

उधर माँ बड़बड़ाती, भला-बुरा कहती
क्योंकि दस बजे का भात राँधने में माँ को
हमेशा ही देर हो जाती है।

मूल बांग्ला से अनुवाद — मीता दास