भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

रात कहती है कहानी / लावण्या शाह

Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:07, 29 जून 2008 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

रात कहती बात प्रियतम,
तुम भी हमारी बात सुन लो,
थक गये हो, जानती हूँ,
प्रेम के अधिकार गुन लो !
है रात की बेला सुहानी,
इस धरा पर हमारी,
नीँद से बोझिल हैँ नैना,
नमन मैँ प्रभु मनुज के!
रात कहती है कहानी,
थीस्वर्ग की शीतल कली,
छोड जिसको आ गये थे-
उस पुरानी - सखी की !
रात कहती बात प्रियतम !
तुम भी सुनो, मैँ भी सुनुँ !
हाथ का तकिया लगाये,
पास मैँ लेटी रहूँ !