Last modified on 4 फ़रवरी 2018, at 18:36

कालिमा / विजय चोरमारे / टीकम शेखावत

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 18:36, 4 फ़रवरी 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=विजय चोरमारे |अनुवादक=टीकम शेखाव...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

दीपक से
देवली होती है श्यामल
लालटेन का काँच भी
हो जाता है काला-स्याह

लाल
सिन्दूरी
समई से
पूजाघर स्याह हो जाता है

कोई भी
उजाला
क्यों नहीं मिलता
बग़ैर कालिमा के !

मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत