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खूब नारे उछाले गए / लक्ष्मीशंकर वाजपेयी

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खूब नारे उछाले गए
लोग बातों में टाले गए।

जो अंधेरों में पाले गए
दूर तक वो उजाले गए।

जिनसे घर में उजाले हुए
वो ही घर से निकाले गए।

जिनके मन में कोई चोर था
वो नियम से शिवाले गए।

पाँव जितना चले उनसे भी
दूर पांवों के छाले गए।

इक ज़रा सी मुलाक़ात के
कितने मतलब निकाले गए।

कौन साज़िश में शामिल हुए
किनके मुंह के निवाले गए।

अब ये ताज़ा अँधेरे जियो
कल के बासी उजाले गए।