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डण्डा-डोली पालकी ! / कन्हैयालाल मत्त
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डण्डा डोली पालकी,
जय कन्हैया लाल की !
आगे-बागे टूल के,
झाँझ-मँजीरे फूले के,
शंख-समन्दर कूल के
ढपली धुर बंगाल की !
जय कन्हैया लाल की !
कमर-करधनी कोंस की
वंशी सूखे बाँस की,
जिसमें जगह न साँस की,
झाँकी बड़े कमाल की !
जय कन्हैया लाल की !
माखन-मिसरी घोलकर,
मन-भर पक्का तोलकर,
खाते हैं दिल खोलकर,
रबड़ी पूरे थाल की !
जय कन्हैया लाल की !