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चोटी / विजय चोरमारे / टीकम शेखावत

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नारियल की जटाओं को निकालते समय
चिन्ता नहीं होती भीतरी गरी की
गरी हो या न हो
अगर है तो बढ़िया
जो अगर ख़राब निकल गया
तो सीधे प्रभु प्रसन्न हो गए

बस जटाएँ ढंग से निकालनी चाहिए
चोटी साबुत रखकर !

मूल मराठी से अनुवाद — टीकम शेखावत