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उठो लाल अब आँखें खोलो / प्रदीप शुक्ल

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(बतर्ज़ : अयोध्यासिंह उपाध्याय 'हरिऔध' जी)

उठो लाल अब आँखें खोलो।
पापा से गुड मॉर्निंग बोलो।

जल्दी से मुँह में ब्रश डालो।
बाथरूम में जाओ नहा लो।

देखो दूध ख़तम कर देना।
होम वर्क सब चेक कर लेना।

खिड़की के बाहर मत झाँको।
ऑफ़िस भी जाना है माँ को।

धूल कार्बन हवा में डोलें।
पेड़ नहीं चिड़िया क्या बोलें।

आसमान में छाई लाली।
बस, अब किरनें आने वाली।

उससे पहले तुमको जाना।
बेटा लंच समय पर खाना।

सात बज गए, बस है आई ।
तुमने ब्रेड पूरी ना खाई।

बेटा ख़ूब पढ़ाई करना।
तुम्हें क्लास में अव्वल रहना।
 
बच्चा अभी नींद का मारा।
बस में फिर सो गया बेचारा।