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मुक्त कर दो मुझे / सपफ़ो / नीता पोरवाल

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सिंहासन पर आसीन,
अलौकिक कांति से दमकती
बृहस्पति की पुत्री, प्रेम की सम्पूर्ण कलाओं
और उनकी आभा बनाए रखने में प्रवीण
ऐ प्रेम और सौन्दर्य की अजर-अमर देवी!

मुझे, उन डरावनी ताक़तों से
जिनके सामने मैं घुटने टेक देता हूँ
छुटकारा दिला दो
अथाह पीड़ा देती इन बेड़ियों और
उदासी बढ़ाती चिंताओं से
मुक्त कर दो मुझे

जबकि कानों ने अभी तक
प्रेरित करता हुआ कुछ भी नही सुना
फ़िर भी जो मेरे लिए हितकारी होगा
मुझ तक ख़ुद-ब-ख़ुद आएगा
 
मेरे खुरदुरे अस्तर पर अब बृहस्पति के दरबार की
सितारों भरी रोशनी पड़ रही है
विशाल मैदान में जोत लिया गया है रथ
उसकी अपनी अजर-अमर चिड़ियाँ
अपने चमकीले पंखों से हवा को चीरते हुए
तीव्र गति से रथ को पृथ्वी पर ले जा रहीं हैं

अँग्रेज़ी से अनुवाद : नीता पोरवाल