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गाँव का जीवन बदल गया / राहुल शिवाय
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पापा कहते हैं
कि गाँव का
जीवन बदल गया
पगडंडी पर छाँव नहीं है
बिछुआ वाला पाँव नहीं है
सच पूछो तो शहर हो गया
गाँव रहा अब गाँव नहीं है
वहाँ आम पर झूलों वाला
सावन बदल गया
साथ-साथ सब हँसते-गाते
दीवाली औ' ईद मनाते
सुख-दुख में सब इक दूजे का
जहाँ रहे हैं साथ निभाते
नए दौर में आज वहाँ का
मन-मन बदल गया
बरकत और दुआ की बातें
खोई होली गाती रातें
नाव कागजी कहाँ बहाती
सावन-भादों की बरसातें
बँटवारे की दीवारों से
आँगन बदल गया
रचनाकाल- 8 अगस्त 2011