भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
नई सदी के तौर-तरीके / राहुल शिवाय
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:31, 23 फ़रवरी 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatGeet}} {{KKCatNavgeet}} <poem>...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
नई सदी के तौर-तरीके
सीख रहा है गांव
गाय, भैंस, बकरी के बदले
कुत्ते रहते द्वार
चौपालों पर भीड़ कहाँ अब
सबका कारोबार
पक्की सड़कें नहीं बतातीं
भूले-बिसरे ठाँव
दो कमरे का फ्लैट लिया है
लगे कँटीले फूल
तुलसी है घर से विस्थापित
सूखा तना बबूल
बूढा बरगद घर के बाहर
नहीं बची जब छांव
अंग्रेजी के गीत बज रहे
हुआ सभी से प्यार
वहीँ भजन का शोर डरा है
सुन-सुन कर फटकार
ए, बी, सी सुन गया ककहरा
वापस उलटे पांव
रचनाकाल-12 अगस्त 2014