आसमानों को
फुनगियों पर उठाए
कैसे उन्मुक्त हो रहे है वृक्ष
आएँ
बटाएँ इनका भार
और मुक्त होकर हँसें
हँसें
ठहाके लगाएँ
हँसें
कि आसमान
कुछ और ऊपर उठ जाए।
आसमानों को
फुनगियों पर उठाए
कैसे उन्मुक्त हो रहे है वृक्ष
आएँ
बटाएँ इनका भार
और मुक्त होकर हँसें
हँसें
ठहाके लगाएँ
हँसें
कि आसमान
कुछ और ऊपर उठ जाए।