Last modified on 6 मार्च 2018, at 14:50

पुन्नू मिस्त्री / अदनान कफ़ील दरवेश

अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 14:50, 6 मार्च 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अदनान कफ़ील दरवेश |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)

मेरे कमरे की बालकनी से दिख जाती है
पुन्नू मिस्त्री की दुकान
जहाँ एक घिसी पुरानी मेज़ पर
पुन्नू ख़राब पँखे ठीक करता है
जब सुबह मैं
चाय के साथ अख़बार पढ़ता हूँ
वो पँखे ठीक करता है
और जब मैं शाम की चाय
अपनी बालकनी के पास खड़े होकर पीता हूँ
पुन्नू तब भी पँखे ठीक करता दिख जाता है

मुझे नहीं मालूम कि उसे पँखे ठीक करने के अलावा भी
कोई और काम आता है या नहीं
या उसे किसी और काम में कोई दिलचस्पी भी होगी
पुन्नू मिस्त्री की कलैण्डर में कोई इतवार नहीं आता
मुझे नहीं पता जबसे ये कॉलोनी बसी है
तबसे पुन्नू पँखे ही ठीक कर रहा है या नहीं
लेकिन फिर भी मुझे पता नहीं ऐसा क्यूँ लगता है कि
सृष्टि की शुरूआत से ही पुन्नू पंखे ठीक कर रहा है..

मेरे पड़ोसी कहते हैं कि, “पुन्नू एक सरदार है”
कोई कल कह रहा था कि, “पुन्नू एक बोरिंग आदमी है”
मुझे नहीं मालूम कि बाक़ी और लोगों की क्या राय होगी
इस दाढ़ी वाले अधेढ़ पुन्नू मैकेनिक के बारे में
लेकिन मैं कभी-कभी सोचता हूँ कि कोई दिन मैं अपनी गली भूल जाऊँ
और पुन्नू भी कहीं और चला जाए
तो मैं अपने घर कैसे पहुँचूँगा?

मुझे पुन्नू इस गली का साइनबोर्ड लगता है
जिसका पेण्ट जगह-जगह से उखड़ गया है
लेकिन फिर भी अपनी जगह पर वैसे ही गड़ा है
जैसे इसे यहाँ गाड़ा गया होगा
पुन्नू की अहमियत इस गली के लोगों के लिए क्या है
ये शायद मुझे नहीं मालूम
लेकिन मुझे लगता है कि
पुन्नू की दुकान इस गली की घड़ी है
जो इस गली के मुहाने पर टँगी है...

(रचनाकाल: 2016)