भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
अन्तिम फैसला / अदनान कफ़ील दरवेश
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:28, 6 मार्च 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अदनान कफ़ील दरवेश |अनुवादक= |संग्...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
हमारी मेहनत
हमारे गहने हैं,
हम अपना श्रम बेचते हैं,
अपनी आत्मा नहीं,
और तुम क्या लगा पाओगे हमारी क़ीमत?
तुम हमें हमारा हक़ नहीं देते,
क्योंकि तुम डरते हो,
तुम डरते हो
हम निहत्थों से,
तुम मुफ़्त खाने वाले हो,
तुम हमें लाठी और,
बन्दूक की नोक पे,
रखते हो
लेकिन याद रक्खो,
हम अगर असलहे उठा लेंगे,
तो हम दमन नहीं,
फ़ैसला करेंगे
(रचनाकाल: 2016)