भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
उमाळ / ओम बधानी
Kavita Kosh से
Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:17, 11 मार्च 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=ओम बधानी }} {{KKCatGadhwaliRachna}} <poem> फेर उमळी उम...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)
फेर उमळी उमाळ जिकुड़ि म
तर खत्यैनि आंसु मुखड़ि म
सरिन बादळ खुद क जिकुड़ि म
बरख्या बादळ आंसु क मुखड़ि म।
तेरि माया कि कुटमुणि फूल बणिगे
रंगस्याळेगे दुन्या आंखि तणिगे
ताणा गाळि उपजी उंठड़्यों म
चुभदा सूल बणिक जिकुड़्यों म।
सितगौं म जु छै बणाग ह्वैगे
आंख्यौं न उठि मन तक पौंछिगे
आग माया कि लगी जिकुड़ि म
पिड़ा खुद की चमळैगे जिकुड़ि म।