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जब कभी फूट के रोये होंगे / रंजना वर्मा

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जब कभी फूट के रोये होंगे
अश्क़ दामन ने सँजोये होंगे

चाँदनी रात भर नहीं सोयी
ओस में फूल डुबोये होंगे

हैं अगर खार मिले किस्मत से
उसने काँटे ही तो बोये होंगे

कोई आहट नहीं सुनी हम ने
ख़्वाब में तेरे ही खोये होंगे

दर्द उलझा हुआ है जुल्फों में
तेरे अहसास पिरोये होंगे

है गुनहगार हो गये बादल
पर परिंदों के भिगोये होंगे

घूम कर चाँद देख लेता है
लोग आराम से सोये होंगे