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आज मुखड़ा छुपा के देख लिया / रंजना वर्मा

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आज मुखड़ा छुपा के देख लिया
ख़्वाब उनके सजा के देख लिया
 
थीं हया से झुकी हुई नज़रें
तुमने जो मुस्कुरा के देख लिया

इश्क़ उन का नहीं हुआ ज़ाहिर
रुख से परदा हटा के देख लिया

है वफाओं के वो नहीं क़ाबिल
बारहा आजमा के देख लिया

सीख पाया नही मुरव्वत वो
हमने सब कुछ लुटा के देख लिया

रौशनी हो न सकी राहों में
हमने दिल भी जला के देख लिया

कोई हमदर्द ही नहीं पाया
खूब आंसू बहा के देख लिया