ठ्यकर्या / कन्हैयालाल डंडरियाल
घौर भटिं अयाँ क हम , गढवाली भुल्यान क हैं
जरा जरा विदेश की अद्कची फुक्यां क हैं
जनम के उछ्यादी थे , विद्या की कदर ना की
कण्डाळी की झपाग खै , ब्व़े की अर बुबाकि भी
जा रहे थे बुळख्या ल्हें, एक दिन स्कूल को
मूड कुछ बिगड़ गया , अदबाटम भज्याँ क हैं
घर भटी अयाँ क हम गढवाळी भुल्याँ क हैं
जरा जरा विदेश की अद्कची फुक्यां क हैं
कै गुजरू इनै उनै , पोड़ी सड़कि का किनर
गाँव वालोँ य मित्रु का , घौर कै कभी डिन्नर
कुछ रकम ठी फीस की , कुछ चुराई ड्वारूंद
खर्च कै पुकै पंजै , मैना धंगल्ययाँ क हैं
घौर भटिं अयाँ क हम , गढवाली भुल्यान क हैं
जरा जरा विदेश की अद्कची फुक्यां क हैं
टैक्निकल जौब में, हाथ काले क्यों करें
करें किलै कूली गिरी , ब्यर्थ बोझ से मरें
डिगचि डिपार्टमेंट का , डिपुटी हम बण्या क हैं
तीस रूप्या रोटी ल्हें , जुल्फा झटग्याँ क हैं
घौर भटिं अयाँ क हम , गढवाली भुल्यान क हैं
जरा जरा विदेश की अद्कची फुक्यां क हैं
क्या कहें पहाड़ से , तंग हम थे आ गये
च्यूडा , भट बुकै बुकै , दांत खचपचा गए
कौणयाळी गल्वाड़ से क्वलणि तक पटा गयी
अब तो ठाठ से यहाँ , पान लबल्यां क हैं
घौर भटिं अयाँ क हम , गढवाली भुल्यान क हैं
जरा जरा विदेश की अद्कची फुक्यां क हैं