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स्वीणा मा / आशा रावत

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वा फगत
स्वीणा मा देखद
वींकू जवैं
ऐग्ये घौर,

 वेतै
यखि मील ग्ये
क्वी काम इनु
 कि
अब जर्वत नि होली
अपणु प्यारु घौर
अपणु न्यारु पाड़
 छोड़िक
बूण जाणा की ।

स्वीणा मा ही
देखणी रैंद
अक्सर वा लाटी
अर जु कबि
फज़ल लेकि औंदु

यो स्वीणु
त खुश हूंद
कि फजल को
स्वीणु छ

सच त होलु
 जरूर
एक न एक दिन ।
नि जणदी वा
वींका स्वीणा तै
सच करण मा
बोगि जालो
सरा तंत्र को पस्यो ।

सड़कि से
इतगा दूर बस्यां
ये गौं मा
को लगाल कारखनु,
भले बण जाव
जून- सि उज्यलि सड़क ।

यख त कबि
धसणू रैंद पाड़
त कबि
गरजद छ द्योर
बरस जांद कठा,
कबि रिख बाघ
कि डैर
त कबि कुछ हौरि ।

इनमा
कनके ह्वाव
क़्वी ढंगौ काम ।

नि देखदी वा
रात खुलणा का
दगड़ी दगड़
टुट जांद स्वीणो,
ह्वे जांद उज्यलो
दिखेन्द सब साफ-साफ
कि जो अबि छ
बस वी छ।