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आपां नै राम बनाणो है / करणीदान बारहठ

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तूं छोड रोवणो रोटी रो, आपां नै राम बचाणो है।
क्यूं फिकर करै तूं तागै रो, मिणियां रो प्राण बचाणो है।

घाटै रा गीत बखाणौ क्यूं
घाटो तो पूरो हो जासी।
कणियां रो घाटो कूंतो हो,
मणियां रो घाटो पाट जीसी।

क्यूं मुंह लटकाया बैठ्या हो,
क्यूं रोाओ रोजी रोटी नै
क्यूं झुरो देख‘र पाडकड़ी,
दूहोला मोटी झोटी नै।

भारत सोनै री चिडियां ही,
सोनै री चिड़िया बण जीसी।
सोनै रा महल बणावां ला,
हीरा मोत्यूं स्यूं जड़ जीसी।

सै दूध दही पर तैरोला,
धन रा धोरा यूं बण जीसी।
घर-घर होवैली पदमणियां,
गालां पर लाली आ जीसी।

ओ धन अम्बर स्यूं बरसै है,
ओ धन धरती में होवै है।
पण धन रै धारण खातर भी,
ओ कर्म बडेरो होवै है।

कर्मां रा धण जद बरसैला,
धीरज का बीज उगावंला।
आ धरती मोती निपजै ली,
हीरां रा हार जड़ावांलां।

बिड़ला री बात छोड़ बिड़ला-मंदिर रो धाम बचाणो है
तूं छोड़ रोवणो रोटी रो, आपां नै राम बचाणो है।

अपणो ओ रूतबो ऊंचो है,
आपां हां भारत रा वासी।
पुरखावां जो धन जोड्यो है,
हो जंगल रा सै सन्यासी।

बो धन धरती में नहीं गड्यो,
बो धन आकाशां नहीं चढ़यो।
बो धन गाल्यां नहीं गल्यो,
बो धन अंगारां नहीं बल्यो।

बो धन छिप्यो रमायण में,
गीता में, महाभारत में।
तुलसी, कबीर अ‘र नानक में,
मरू री मीरां री आरत में।

मन्दिर री मादक घंटी में,
गुरूवाणी रै गुरूद्वारै में,
मस्जिद में, मुल्लावां में,
साधु संतां रै द्वारे में।

हरिद्वार, हर री पेड़ी में,
ऋषिकेश री ऋषियां में।
काशी, पुरी अ‘र पुस्कर में,
वृन्दावन, बृज वसियां में।

हिम रै भरे हिंवालै में,
मरू री धोरां री लाली में।
गंगा रै पावन पाणी में,
करणी, सुरसत अ‘र काली में।

ओ धन प्राणा सूं प्यारो है, ओ धन हियो छिपाणो है।
तूं छोड़ रोवणो रोटी रो, आपां नै राम बचाणो है।

जीवण रो मर्म घणो ऊंडो,
रोटी रोजी सूं ऊंचो है।
माथै रो मोल कूंतणो है,
माथै रो रूतबो ऊंचो है।

रोटी रोजी रै चौपड़ पर,
संस्कृति रो हार बिकै कोनी।
पेट भरण रै बहकाणै पर,
भारत रो राम झुकै कोनी।

सेजां पर सूत्यां रहस्यो तो,
मन्दिर रो राम निकल ज्यासी।
हिरणी रै भूल भुलैये में,
सीता नै रावण ले ज्यासी।

गीता रामायण री पोथी,
अगनी में स्वाहा कर देसी।
गुरू ग्रन्थ साहब रै पन्ना नै,
टुकड़ां में लोग बिका देसी।

गंगाजी रूलसी गलियां में,
मस्जिद में बेचैला शराब।
विष्णु, अल्लाह, नानक री,
होवैली जद माटी खराब।

खांडा रा पाना करणा है,
मूंछा री मोड़ मुडैगी नीं।
भारत री रजपूती रा माथा,
कट ज्यासी पण झुकै नहीं।

तूं छोड़ गीत गरीबी रा, माता रो गर्व बचाणो है।
तूं छोड़ रोवणा रोटी रो, आपां नै राम बचाणो है।