भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कस्तो लास राम्रो / विमल गुरुङ

Kavita Kosh से
Sirjanbindu (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 09:53, 27 मार्च 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार= विमल गुरुङ |अनुवादक= |संग्रह= }} {{KKCatK...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज


जिउँदो लास बनेर
जीउनुभन्दा निस्सासिंदै
स्वादिलो हुन्छ संघर्षशील
मृतलास बन्नु नै